सच्चियाय माता, जिन्हें माँ सच्चियाय, श्री सच्चियाय माताजी या सच्चियाय देवी भी कहा जाता है, एक शक्तिशाली और पूज्यनीय हिंदू देवी हैं। ये देवी राजस्थान के जोधपुर जिले के ओसियां (Osian) नामक स्थान में स्थित प्राचीन मंदिर में विराजित हैं। इनका नाम "सच्चियाय" संस्कृत शब्द "सत्य" से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है – सच्चाई की अधिष्ठात्री देवी।
यह माता शक्ति (दुर्गा) का ही एक रूप मानी जाती हैं जो धर्म की रक्षा के लिए प्रकट हुई थीं। इनका उल्लेख सत्य, न्याय, और पराक्रम की देवी के रूप में होता है, जो अपने भक्तों को न केवल संकटों से मुक्त करती हैं बल्कि उन्हें सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती हैं।
माँ के स्वरूप : माँ सिंह पर सवार, हाथों में शस्त्र और कमल है। उनका मुख तेज़स्वी है, जो शक्ति और करुणा दोनों का प्रतीक है। भक्त माँ के दर्शन मात्र से स्वयं को धन्य मानते हैं।
विशेषताएं
स्वयंभू मूर्ति: मंदिर के गर्भगृह में सच्चियाय माता की स्वयंभू मूर्ति स्थापित है, जो भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है।
जैन प्रभाव: मंदिर में जैन स्थापत्य की विशेषताएं जैसे गणेश, वराह और नरसिंह की मूर्तियां और नक्काशी देखी जा सकती हैं।
अन्य मंदिर: सच्चियाय माता मंदिर के पास चंडी का मंदिर और अंबा माता मंदिर भी हैं, जो लगभग 1178 ई. में बनाए गए।
नौलखा बावड़ी: मंदिर के निकट एक प्राचीन बावड़ी है, जो मंदिर की ऐतिहासिकता को और बढ़ाती है।
दर्शन पूरी तरह निःशुल्क (Free) हैं।
मौसम अनुसार यात्रा का श्रेष्ठ समय:
सच्चियाय माता का मंदिर राजस्थान के जोधपुर जिले के ओसियां नगर में स्थित है, जो कि एक प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक नगर के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर लगभग 1000 से 1200 वर्ष पुराना माना जाता है और इसका निर्माण गुर्जर प्रतिहार वंश के काल में हुआ था। उस समय ओसियां एक समृद्ध नगर था, जहाँ हिन्दू और जैन धर्म के अनेक मंदिर स्थापित किए गए थे। सच्चियाय माता का मंदिर अपने विशिष्ट नागर शैली के स्थापत्य, सुंदर नक्काशी, और भव्य मूर्तिकला के लिए जाना जाता है। मंदिर की सीढ़ियाँ, मंडप, गर्भगृह और स्तंभों पर की गई कलाकृति दर्शकों को प्राचीन भारत की कला और आस्था की झलक देती है। कालांतर में यह मंदिर कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित हुआ, और ओसवाल, महेश्वरी, पारीक ब्राह्मण, माली, पुष्करना ब्राह्मण, सोनी आदि समाजों ने इसे अपनी कुलदेवी माना। आज भी देश-विदेश से श्रद्धालु यहाँ दर्शन हेतु आते हैं, विशेषकर नवरात्रि में यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
जोधपुर से ओसियां के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। निजी वाहन से भी आप NH-62 या Jodhpur-Phalodi Road के माध्यम से लगभग 1.5 घंटे में मंदिर पहुँच सकते हैं। रास्ते सुंदर और सुगम हैं।
जोधपुर रेलवे स्टेशन इस मंदिर का सबसे नज़दीकी बड़ा रेलवे जंक्शन है, जो देशभर के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जोधपुर से ओसियां की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है। स्टेशन से टैक्सी, बस या कैब द्वारा ओसियां आसानी से पहुँचा जा सकता है।
सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जोधपुर हवाई अड्डा है, जहाँ से देश के प्रमुख शहरों के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से ओसिया माता मंदिर लगभग 70 किलोमीटर दूर है, जिसे टैक्सी या कार द्वारा तय किया जा सकता है।
मंदिर एक ऊँचे टीले पर स्थित है, जहाँ सीढ़ियाँ चढ़कर जाना होता है, और यह यात्रा स्वयं में आध्यात्मिक अनुभव से भरपूर होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सच्चियाय माता देवी शक्ति का ही एक दिव्य रूप हैं। ‘सच्चियाय’ शब्द का अर्थ होता है – “सत्य की अधिष्ठात्री देवी”। कथा के अनुसार, जब पृथ्वी पर अधर्म और पाप का प्रभाव अत्यधिक बढ़ गया था और राक्षसों ने देवताओं तथा धर्मात्माओं को परेशान करना शुरू किया, तब माँ ने सिंह पर सवार होकर 'सच्चियाय' के रूप में अवतार लिया। उन्होंने अन्याय का नाश कर धर्म की स्थापना की और सत्य मार्ग को पुनः प्रकट किया। माँ न केवल शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं, बल्कि वे अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा और निष्कलंक भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें कष्टों से मुक्त करती हैं। कई भक्तों की कथाओं में यह उल्लेख मिलता है कि माँ ने स्वप्न में दर्शन दिए, समय रहते संकट से उबारा और उनकी मनोकामनाएँ पूरी कीं। आज भी ओसियां क्षेत्र में अनेक लोककथाएँ और चमत्कारिक घटनाएँ प्रचलित हैं – जैसे माता का सिंह रूप में रात्रि में दिखना, पूजा के बाद असाधारण फल मिलना आदि। इन कथाओं ने माँ सच्चियाय को सत्य, शक्ति, करुणा और चमत्कारों की प्रतीक बना दिया है।
कुलदेवी के रूप में मान्यता
कुलदेवी के रूप में मान्यता
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