संक्षिप्त परिचय

श्री नौसार माता मंदिर, जिसे नोसार माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के अजमेर जिले में पुष्कर घाटी के नाग पहाड़ (नाग पाहर) पर स्थित एक ऐतिहासिक और पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर लगभग 1300 वर्ष पुराना है और नौ दुर्गा (नवदुर्गा) की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है जहां माता दुर्गा की नौ रूपों को एक ही मूर्ति में पूजा जाता है, जो नवदुर्गा के नौ सिरों वाली शक्तिशाली छवि को दर्शाता है। पद्म पुराण के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में एक पवित्र यज्ञ की रक्षा के लिए नवदुर्गा का आह्वान किया था, और माता नाग पहाड़ पर प्रकट हुईं ताकि राक्षसों से यज्ञ की रक्षा हो सके।

मंदिर खुलने का एवं आरती समय

मंदिर खुलने का समय 
प्रभात दर्शन : सुबह 6:00 AM से 12:00 PM तक
सायं दर्शन : दोपहर 4:00 PM से रात 8:00 PM तक
आरती समय 
प्रभात आरती सुबह : 6:30 – 7:00 AM
मध्याह्न आरती  : लगभग 12:00 PM
सायंकालीन आरती : शाम 6:30 – 7:00 PM

प्रवेश शुल्क (Entry Fee)

दर्शन पूरी तरह निःशुल्क (Free) हैं।

यात्रा सुझाव (Visitor Tips)

  • मंदिर पहाड़ी पर स्थित, 15–20 मिनट पैदल सीढ़ी चढ़ाई
  • आरामदायक जूते व पानी साथ रखें
  • गर्भगृह में फोटो लेना वर्जित है
  • शांत वातावरण बनाए रखें
  • प्रसाद / दान केवल अधिकृत स्थानों पर करें
  • मंदिर परिसर को साफ रखें, प्लास्टिक का उपयोग न करें

ऐतिहासिक पक्ष

  1. राजा पृथ्वीराज चौहान और युद्ध: प्रसिद्ध वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान जब मोहम्मद गौरी से युद्ध के लिए जा रहे थे, तब उन्होंने इस मंदिर में आकर माँ नौसर माता से विजय का आशीर्वाद माँगा था। यह इस स्थान की ऐतिहासिक मान्यता को दर्शाता है कि यह मंदिर तब भी एक शक्ति स्थल के रूप में मान्य था।

  2. औरंगज़ेब का आक्रमण: मुगल शासक औरंगज़ेब ने देशभर में कई हिंदू मंदिरों को नष्ट करने का आदेश दिया था। उसी क्रम में उसने नौसर माता मंदिर को भी निशाना बनाया। कहा जाता है कि जब सैनिकों ने मूर्ति को तोड़ने की कोशिश की, तब माता की नौ सिरों वाली मूर्ति को कोई विशेष क्षति नहीं पहुँची। केवल एक सिर थोड़ा खंडित हुआ, जिसे बाद में महंत बुद्धा करण जी ने श्रद्धापूर्वक पुनः स्थापित करवाया। यह घटना आज भी मंदिर की दीवारों पर कथा रूप में अंकित है।

  3. छत्रपति शिवाजी महाराज का योगदान: 1666 ईस्वी में, जब छत्रपति शिवाजी महाराज पुष्कर क्षेत्र में आए, तब वे इस शक्तिपीठ पर भी पहुँचे और उन्होंने माता के दाहिने हाथ में त्रिशूल स्थापित किया। यह त्रिशूल आज भी मूर्ति में उसी स्थान पर स्थित है और मंदिर का एक प्रमुख आकर्षण है।

  4. मराठा वंश और ग्वालियर नरेश द्वारा पुनर्निर्माण: कालांतर में, मंदिर की मूर्ति सुरक्षित रहने के बावजूद संरचना पुरानी और क्षतिग्रस्त हो गई थी।
    तब मराठा वंशजों और ग्वालियर के महाराज के सहयोग से मंदिर का वर्तमान स्वरूप बनाया गया। इस निर्माण में स्थानीय राजपूतों और महंतों की भी भूमिका थी।

समीप रमणीय स्थल

यहाँ नौसर माता मंदिर (अजमेर, राजस्थान) के समीप स्थित रमणीय स्थलों की सूची दी गई है। ये स्थल आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें नौसर माता मंदिर दर्शन के साथ भी देखा जा सकता है।

कैसे पहुँचें?

अजमेर और पुष्कर से नौसर माता मंदिर के लिए पक्की सड़क है।

  • राज्य परिवहन की बसें पुष्कर तक नियमित रूप से चलती हैं।
  • पुष्कर से मंदिर तक ऑटो-रिक्शा, कैब, या प्राइवेट गाड़ी से पहुँचा जा सकता है।
  • पहाड़ी के नीचे वाहन खड़े कर दिए जाते हैं, फिर वहाँ से पैदल चढ़ाई करनी होती है।
निकटतम रेलवे स्टेशन:
  • अजमेर जंक्शन  – लगभग 18–20 किलोमीटर दूर
  • पुष्कर में भी एक छोटा स्टेशन है – Pushkar Terminal, लेकिन सीमित ट्रेनें उपलब्ध हैं।
अजमेर जंक्शन से टैक्सी, ऑटो या लोकल बस के माध्यम से सीधे नौसर माता मंदिर पहुँचा जा सकता है।
निकटतम हवाई अड्डा:
  • Kishangarh Airport (KQH) – लगभग 40–45 किमी दूर
  • Jaipur International Airport – लगभग 150 किमी दूर

हवाई अड्डे से टैक्सी या बस के माध्यम से अजमेर या पुष्कर होते हुए मंदिर पहुँचा जा सकता है।

मंदिर तक अंतिम चढ़ाई
  • मंदिर नाग पहाड़ी पर स्थित है, और अंतिम 15–20 मिनट की चढ़ाई पैदल करनी होती है।
  • पथ सीमेंटेड है और सीढ़ियाँ बनी हुई हैं।
  • बुजुर्गों के लिए आराम स्थल भी बीच-बीच में उपलब्ध हैं।

पौराणिक कथा

पांडवों की पूजा: महाभारत काल के दौरान, जब पांडव अज्ञातवास में थे, तो उन्होंने इस क्षेत्र में निवास किया और इस पहाड़ी पर आकर नौसर माता की उपासना की। ऐसा माना जाता है कि माँ ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनका मार्गदर्शन किया।

पद्म पुराण में वर्णित कथा: जब भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में महायज्ञ करने की योजना बनाई, तब उन्हें यज्ञ की रक्षा हेतु शक्तियों की आवश्यकता थी। तब उन्होंने इस नाग पहाड़ी स्थान पर नव शक्तियों (नवदुर्गा) को प्रकट किया।

इन नौ शक्तियों ने यज्ञ की रक्षा की और फिर यहीं पर एकत्र होकर एक मूर्तिरूप में परिवर्तित हुईं। यह मूर्ति एक ही पत्थर से निर्मित हुई, जिसमें नौ सिरों वाली माता का स्वरूप है। यही माँ आगे चलकर “नौसर माता” के रूप में पूजी जाने लगीं।

खांप से

कुलदेवी के रूप में मान्यता

Ajmera
Chitlange
Chitlangia
Chitlangiya
Falod
Falor

प्रमुख रिवाज और परंपराएं

विशेष रूप से नवरात्रि के दिनों में यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है। भक्त सुबह-सुबह स्नान करके, नंगे पाँव पहाड़ी चढ़कर माँ के दर्शन करते हैं। माता को लाल चुनरी, नारियल, सिंदूर, चूड़ियाँ और मिठाई चढ़ाई जाती है। देवी के सामने दीपक जलाकर, मंत्र जाप, दुर्गा चालीसा और आरती गाई जाती है। अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन किया जाता है जिसमें 9 कन्याओं को भोजन करवाकर उपहार दिए जाते हैं। मंदिर परिसर में स्थित पवित्र जल स्रोत से स्नान करना भी शुभ माना जाता है, जो कभी नहीं सूखता। विशेष अवसरों पर पंचकुंडीय यज्ञ, हवन और रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है। माना जाता है कि यहाँ सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं, इसलिए भक्त मंदिर परिसर में लाल धागा या कपड़ा बांधते हैं। यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और देवी शक्ति का अद्वितीय संगम है।

गोत्र से

कुलदेवी के रूप में मान्यता

मानांस

विशेष पर्व

नवरात्रि, अष्टमी, पूर्णिमा

  • पंचामृत स्नान
  • नवदुर्गा हवन और कन्या पूजन (9 कन्याओं को भोजन कराना)
  • माता को त्रिशूल व ध्वज अर्पण 
  • सिंदूर, लाल चुनरी व नारियल चढ़ाना
  • नवदुर्गा कथा, दुर्गा सप्तशती या देवीभागवत का पाठ

नौसर माता मंदिर के पास रुकने की सुविधा

निकटतम शहर:
  • पुष्कर – लगभग 5 किमी
  • अजमेर – लगभग 12 किमी
महत्वपूर्ण सुझाव:
  • नवरात्रि या पूर्णिमा पर रुकने की व्यवस्था पहले से बुक करें
  • धर्मशालाओं में पहचान पत्र ज़रूरी होता है
  • पुष्कर में शाकाहारी भोजन आसानी से मिलता है