संक्षिप्त परिचय

जीण माता, जिन्हें जीण भवानी, जीण माता जी, या जीणधारी माता के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म की एक अत्यंत पूजनीय देवी हैं। इन्हें माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है। ये देवी मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, उत्तर भारत और मारवाड़ी समाज के कई हिस्सों में कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

नाम और महत्त्व

  • नाम "जीण" का अर्थ है — जिसे कोई हानि न पहुँचा सके, जो अमर हो

  • माँ जीण को सत्य, शक्ति और भक्ति की प्रतीक माना जाता है।

  • वे भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने वाली और संकटों से रक्षा करने वाली देवी हैं।

मंदिर खुलने का एवं आरती समय

समय:
  • सुबह: 5:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
  • शाम: 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक

नवरात्रि के समय: सुबह 4:00 बजे से रात 10:00

आरती का समय:
  • सुबह : 5:00-6:00 बजे
  • शाम : 6:30-7:30 बजे

प्रवेश शुल्क (Entry Fee)

दर्शन पूरी तरह निःशुल्क (Free) हैं।

यात्रा सुझाव (Visitor Tips)

  • सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च, जब मौसम सुहावना होता है।
  • क्या लाएँ: पूजा सामग्री, आरामदायक कपड़े, और पानी की बोतल। नवरात्रि के दौरान गर्मी या भीड़ को ध्यान में रखें।
  • सावधानियाँ: नवरात्रि में भीड़ अधिक होती है, इसलिए जेबकतरों से सावधान रहें और मूल्यवान सामान सुरक्षित रखें।
  • मंदिर में फोटोग्राफी और मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध हो सकता है, इसलिए मंदिर नियमों का पालन करें।

ऐतिहासिक पक्ष

जीन माता मंदिर, राजस्थान के सीकर जिले में अरावली पहाड़ियों के बीच जीनवास गाँव में स्थित है। यह मंदिर लगभग 1200 वर्ष पुराना (8वीं शताब्दी) माना जाता है और इसे एक शक्ति पीठ के रूप में पूजा जाता है। मंदिर का इतिहास न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। नीचे इसके ऐतिहासिक पहलुओं का विस्तार से वर्णन है:

  1. निर्माण और प्राचीनता:
    • मंदिर का मूल निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है, हालांकि कुछ स्थानीय कथाएँ इसे और प्राचीन बताती हैं। कुछ विद्वानों और स्थानीय परंपराओं के अनुसार, पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस मंदिर का पुनर्निर्माण या जीर्णोद्धार किया था। यह कथा मंदिर की प्राचीनता को और गहराई देती है।
    • मंदिर का वास्तुशिल्प राजस्थानी शैली को दर्शाता है, जिसमें जटिल नक्काशी और पत्थरों का उपयोग देखा जा सकता है। समय-समय पर चौहान राजवंश और अन्य स्थानीय शासकों द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।
    • मंदिर में मौजूद अखंड ज्योति (जो कभी नहीं बुझती) को इसकी प्राचीनता का प्रतीक माना जाता है। यह ज्योति सदियों से जल रही है और इसे चमत्कारी माना जाता है।
  2. मुगल काल और औरंगजेब की कथा:
    • एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक कथा के अनुसार, मुगल सम्राट औरंगजेब ने 17वीं शताब्दी में जीन माता मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया था। यह उस समय की सामान्य मुगल नीति का हिस्सा था, जिसमें कई हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया।
    • किंवदंती है कि जब औरंगजेब की सेना मंदिर को तोड़ने आई, तो माँ जीन माता की शक्ति मधुमक्खियों के झुंड के रूप में प्रकट हुई। इन मधुमक्खियों ने औरंगजेब की सेना पर हमला किया और उन्हें दिल्ली तक खदेड़ दिया।
    • इस चमत्कार से प्रभावित होकर, औरंगजेब ने पश्चाताप किया और मंदिर में एक स्वर्ण मूर्ति, जिसे "भँवरो की रानी" कहा जाता है, और एक अखंड ज्योति भेंट की। यह ज्योति आज भी मंदिर में जलती है और इसे मंदिर का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है।
    • हालांकि इस कथा का ऐतिहासिक प्रमाण विवादास्पद है, क्योंकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह स्थानीय लोककथाओं का हिस्सा हो सकता है, जो मंदिर की शक्ति और भक्तों के विश्वास को दर्शाता है।
  3. चौहान और अन्य राजवंशों का योगदान:
    • मंदिर का निर्माण और संरक्षण चौहान राजवंश से जुड़ा हुआ है, जो राजस्थान के प्रमुख शासक वंशों में से एक थे। कुछ स्रोतों के अनुसार, चौहान शासकों ने मंदिर का निर्माण करवाया और इसे शक्ति पीठ के रूप में स्थापित किया।
    • समय-समय पर अन्य स्थानीय राजपूत शासकों और समुदायों ने भी मंदिर के रखरखाव और सौंदर्यीकरण में योगदान दिया।
  4. आधुनिक समय में मंदिर:
    • आज जीन माता मंदिर राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। यह माहेश्वरी, राजपूत, सैनी, यादव, ब्राह्मण, गुर्जर, अग्रवाल, मीणा, स्वर्णकार, शेखावत, और रावत राजपूत समुदायों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
    • मंदिर का प्रबंधन स्थानीय ट्रस्टों और भक्तों द्वारा किया जाता है, और नवरात्रि के दौरान यहाँ लाखों श्रद्धालु आते हैं।

समीप रमणीय स्थल

कैसे पहुँचें?

जयपुर से:
दूरी: लगभग 108 किमी मार्ग: जयपुर → चोमू → रींगस → रेवासा → जीन माता मंदिर।जयपुर से बस, टैक्सी या कैब से NH52 (जयपुर-सीकर राजमार्ग) सीकर से: दूरी: लगभग 29 किमी (लगभग 40-50 मिनट का सफर)। मार्ग: सीकर → रेवासा → जीन माता मंदिर।सीकर से बस, टैक्सी या कैब

नजदीकी रेलवे स्टेशन: सीकर जंक्शन

  • जयपुर से सीकर
  • सीकर से मंदिर

नजदीकी हवाई अड्डा: जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट

  • जयपुर से सीकर
  • सीकर से मंदिर

पौराणिक कथा

जीन माता मंदिर की पौराणिक कथाएँ इसकी शक्ति और चमत्कारों को उजागर करती हैं। ये कथाएँ भक्तों के बीच गहरी आस्था का आधार हैं और मंदिर की महिमा को बढ़ाती हैं। नीचे प्रमुख पौराणिक कथाएँ दी गई हैं:

  1. जीन माता की उत्पत्ति:
    • जीन माता का जन्म जीवण (या जीन) के रूप में चुरू जिले के घोघु गाँव में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता राजा घंघ थे, और उनकी माता एक अप्सरा थीं।
    • कथा के अनुसार, राजा घंघ ने अप्सरा से विवाह किया, लेकिन एक वचन तोड़ने के कारण अप्सरा ने राजा को छोड़ दिया और जीवण और उनके भाई हर्ष को अपने साथ ले गई। हालांकि, बाद में अप्सरा ने दोनों बच्चों को छोड़ दिया, और जीवण ने अरावली पहाड़ियों के काजल शिखर पर कठोर तपस्या शुरू की।
    • जीवण ने माँ जयंती (दुर्गा का एक रूप) की उपासना की और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माँ जयंती ने उन्हें वरदान दिया। इसके बाद जीवण को जीन माता के रूप में पूजा जाने लगा।
    • जीन माता को माँ दुर्गा का अवतार, विशेष रूप से महिषासुर मर्दिनी (आठ भुजाओं वाली) माना जाता है।
  2. हर्ष भैरों और हर्षनाथ मंदिर:
    • जीन माता के भाई हर्ष को भैरों (शिव का एक रूप) का अवतार माना जाता है। उन्होंने जीन माता के पास ही तपस्या की थी।
    • हर्षनाथ मंदिर, जो जीन माता मंदिर के निकट स्थित है, हर्ष भैरों को समर्पित है। यह मंदिर भी प्राचीन है और जीन माता के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।
    • कथा के अनुसार, जीन माता और हर्ष भैरों ने एक साथ तपस्या करके क्षेत्र की रक्षा की और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी कीं।
  3. पांडवों का संबंध:
    • कुछ स्थानीय कथाओं में कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस क्षेत्र में समय बिताया था। उन्होंने जीन माता मंदिर का जीर्णोद्धार किया और माँ जयंती की पूजा की।
    • यह कथा मंदिर को महाभारत युग से जोड़ती है, हालांकि इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। यह लोक विश्वास का हिस्सा है, जो मंदिर की प्राचीनता को रेखांकित करता है।
  4. चमत्कार और भक्तों की आस्था:
    • जीन माता को चमत्कारी माना जाता है, और मंदिर में जलने वाली अखंड ज्योति से प्राप्त काजल को आँखों के रोगों को ठीक करने वाला माना जाता है।
    • भक्तों का मानना है कि जीन माता उनकी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं, विशेष रूप से संतान प्राप्ति, रोग निवारण, और सुरक्षा से संबंधित प्रार्थनाओं में।

खांप से

कुलदेवी के रूप में मान्यता

Behani
Bihani
Biyani
Maroo
Maru
Sodani
Sodhani

गोत्र से

कुलदेवी के रूप में मान्यता

बछांस
लियांस

विशेष पर्व

  • चैत्र और आश्विन नवरात्रि: ये मंदिर के सबसे बड़े उत्सव हैं, जब लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मेलों में मिठाई, पूजा सामग्री, भोजन, और खिलौनों की दुकानें लगती हैं।
  • अन्य अवसर: मंदिर में होली, दीवाली, और अन्य हिंदू त्योहारों पर विशेष पूजा होती है।
  • मंदिर के पास रुकने की सुविधा

    1. जीण माता धर्मशाला
      • मंदिर परिसर के पास स्थित
      • 100+ कमरे — साधारण, कूलर, अटैच बाथरूम
      • रसोई की सुविधा (भोजनशाला)
      • बहुत ही किफायती दर (~₹200–₹500)
      • स्थान पर सीधा बुकिंग या मंदिर कमेटी से संपर्क
    2. महेश्वरी धर्मशाला 
      • अनुमानित दूरी: लगभग 100 से 200 मीटर केवल 2–3 मिनट पैदल चलकर
      • साफ-सुथरा वातावरण
      • स्नानगृह, पानी, सफाई उत्तम
      • परिवार वालों के लिए उपयुक्त